Monday, March 17, 2025
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नागपंचमी क्यों और कब से मनाई जाती है ? नागपंचमी पर पूजा करने की संपूर्ण विधि :

नागपंचमी क्यों और कब से मनाई जाती है ? नागपंचमी पर पूजा करने की संपूर्ण विधि : नाग पंचमी सावन मास की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार विशेष रूप से नाग देवता की पूजा के लिए है और इसका महत्व भगवान श्री कृष्ण की कालिया नाग पर विजय की स्मृति में है। इस दिन नागों की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है। पूजा की शुरुआत स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने से होती है। पूजा स्थल पर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है। दूध, जल, फूल, दीपक, और मिठाई अर्पित की जाती है। पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार पर सांप का चित्र बनाकर पूजा की जाती है। नाग पंचमी की पूजा की परंपरा पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है और यह त्योहार जुलाई या अगस्त में आता है।

नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha) 2024 :

हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन नागों की पूजा करने से घर में सर्पदंश का खतरा कम होता है और सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन घर के द्वार पर सांप का चित्र बनाकर उसकी पूजा की जाती है। नाग पंचमी के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। आइए, जानें नाग पंचमी की एक प्रसिद्ध कथा।

नाग पंचमी व्रत कथा (Nag Panchami Vrat Katha) 2024 :

नाग पंचमी की पौराणिक कथा : Mythological story of Nag Panchami:

श्री कृष्ण और कालिया नाग:

एक समय की बात है, भगवान श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे। खेलते-खेलते उनकी गेंद यमुना नदी में गिर गई। इस नदी में कालिया नाग निवास करता था। भगवान कृष्ण ने बिना किसी डर के नदी में छलांग लगाई और कालिया नाग से मुकाबला किया। उन्होंने कालिया नाग को हराया और उसे वचन लिया कि वह अब कभी भी गांव के लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। इस घटना के बाद से कालिया नाग ने वादा निभाया और गांव के लोग सुरक्षित रहे। श्री कृष्ण की इस विजय के कारण ही नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा।

छोटी बहू और सर्प भाई:

प्राचीन काल में एक सेठजी के सात पुत्र थे। सबसे छोटी बहू बहुत ही गुणवान और सुसंस्कृत थी, लेकिन उसके कोई भाई नहीं था। एक दिन, बड़ी बहू मिट्टी लाने के लिए खेत में गई। सभी बहुएं मिट्टी खोद रही थीं, तभी वहां एक सांप निकला। बड़ी बहू ने उसे मारने की कोशिश की, लेकिन छोटी बहू ने उसे रोक दिया और सांप को जीवित छोड़ दिया।

छोटी बहू ने सांप से वादा किया कि वह वापस आकर उसे धन्यवाद देगी। काम में व्यस्त होने के कारण उसने सांप से किया वादा भूल गया। अगले दिन जब वह सांप के पास पहुंची, तो सांप ने कहा कि वह उसकी बहन बनेगा और उसने उसे अपना भाई मान लिया। सांप ने कहा कि वह जो भी मांगना चाहती है, मांग ले। छोटी बहू ने सांप की भेंट स्वीकार कर ली और उसके घर पहुंची।

सांप की माता ने उसे दूध पिलाने के लिए कहा, लेकिन गलती से उसने गर्म दूध पिला दिया, जिससे सांप की माता नाराज हो गई। सांप ने उसे समझाया और उसे घर भेज दिया, साथ में ढेर सारी धन-धान्य और आभूषण भी दिए।

नागपंचमी क्यों और कब से मनाई जाती है ? नागपंचमी पर पूजा करने की संपूर्ण विधि :

जब छोटी बहू ने ससुराल लौटकर सभी को दिखाया, तो बड़ी बहू ने ईर्ष्या में उसे और भी धन लाने के लिए कहा। सांप ने उसकी बात मानकर सोने की झाड़ू और एक कीमती हार भी दिया। रानी ने उस हार की तारीफ सुनी और उसे पाने की इच्छा जताई। सांप ने हार पर जादू किया, जिससे वह रानी के गले में सांप बन गया और छोटी बहू के गले में हीरा-माणिक का बन गया। राजा ने जब देखा कि हार सच में जादुई है, तो उसने छोटी बहू को सम्मानित किया।

नागपंचमी क्यों और कब से मनाई जाती है ? नागपंचमी पर पूजा करने की संपूर्ण विधि :

बड़ी बहू की ईर्ष्या और संदिग्धता के कारण सांप ने एक बार फिर प्रकट होकर कहा कि अगर किसी ने उसकी बहन के चरित्र पर संदेह किया, तो वह उसे खा लेगा। इससे छोटी बहू का पति बहुत खुश हुआ और सांप देवता को प्रणाम किया। तब से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा।

यह कथा हमें सिखाती है कि सत्य, वचन और ईमानदारी का महत्व बहुत है। नाग पंचमी के दिन इस कथा को सुनना और मानना, घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

नाग पंचमी की पूजा विधि : Method of worship of Nag Panchami:

“नाग पंचमी” का त्योहार विशेष रूप से नाग देवता की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है। यहाँ नाग पंचमी की पूजा विधि को विस्तार से बताया गया है:

1. नाग पंचमी के दिन का समय :

  • नाग पंचमी का त्योहार हर साल सावन मास की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि आमतौर पर जुलाई या अगस्त में आती है।
  • पूजा का समय प्रातः काल होता है, लेकिन आप इसे पूरे दिन किसी भी समय कर सकते हैं।

2. पूजा सामग्री (Puja Samagri)

  • नाग देवता की प्रतिमा या चित्र
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • फूल (विशेष रूप से सफेद फूल)
  • फल (खासकर मिठाइयाँ)
  • दूध
  • दीपक और अगरबत्ती
  • जल और पंखा
  • चंदन
  • पान की पत्तियाँ
  • साबुत चने
  • मिठाई (लड्डू या खीर)

3. नाग पंचमी – पूजा की तैयारी : Nag Panchami – Preparation for Puja:

  • सफाई: सबसे पहले घर और पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें।
  • पवित्रता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर एक स्वच्छ आसन बिछाएँ।

4. नाग पंचमी – पूजा विधि : Nag Panchami – Puja Vidhi :

  1. स्थापना: पूजा स्थल पर नाग देवता की प्रतिमा या चित्र को रखें। इसे एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  2. स्नान और श्रृंगार: नाग देवता की प्रतिमा को दूध, जल, और फूलों से स्नान कराएँ। इसे हल्दी और कुमकुम से सजाएँ।
  3. दीपक और अगरबत्ती: दीपक जलाएँ और अगरबत्ती रखें। पूजन स्थल को सुगंधित बनाने के लिए अगरबत्ती का प्रयोग करें।
  4. नागों की पूजा: नाग देवता की प्रतिमा को जल, दूध, और फूल अर्पित करें। नाग देवता के मंत्र या श्लोक पढ़ें और उनका ध्यान करें।
  5. प्रसाद अर्पण: साबुत चने, मिठाई, और फल अर्पित करें। इन चीज़ों को नाग देवता को अर्पित कर, बाद में घर के सभी सदस्यों को वितरित करें।
  6. अर्चना और प्रार्थना: नाग देवता के समक्ष दीपक जलाते हुए उनकी अर्चना करें। उनके समक्ष अपने परिवार की सुरक्षा और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
  7. कथा सुनना: नाग पंचमी के दिन नागों से जुड़ी कथा सुनना भी लाभकारी होता है। कथा को ध्यानपूर्वक सुनें और उसका अनुसरण करें।
  8. निवेदन और अर्चन: पूजा के अंत में नाग देवता से अपने परिवार के सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करें। पूजा के बाद, घर के मुख्य द्वार पर सांप का चित्र बनाकर उसकी पूजा करें।

5. पुष्टिकरण और समापन :

  • पूजा के बाद, घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें। इस दिन विशेष प्रकार के व्यंजन बनाने की परंपरा भी है।
  • पूजा स्थल को साफ करें और पूजा की सामग्री को सुरक्षित स्थान पर रखें।

नाग पंचमी का त्योहार विशेष रूप से नागों की पूजा और उनके प्रति सम्मान अर्पित करने का दिन है। इस दिन की पूजा विधि का पालन करके आप अपने घर में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

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