JIO News 18 न्यूज़ नेटवर्क :
लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने शुक्रवार को यह जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का यहां आना दोनों देशों के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों का प्रमाण है। अपनी संसद में पीएम रामगुलाम ने कहा कि मुझे सदन को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरे निमंत्रण पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने पर सहमति जताई है। हमारे देश के लिए यह वास्तव में एक अनूठा सौभाग्य है कि हम ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की मेजबानी कर रहे हैं, जो अपने व्यस्त कार्यक्रम और हाल ही में पेरिस व अमेरिका के दौरे के बावजूद हमें यह सम्मान दे रहे हैं।रामगुलाम ने कहा कि पीएम मोदी हमारे विशेष अतिथि के रूप में यहां आने पर सहमत हुए हैं। मोदी की यात्रा हमारे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का प्रमाण है। बता दें कि मॉरीशस अगले महीने अपना राष्ट्रीय दिवस मनाएगा। पिछले साल नवंबर में पीएम मोदी ने नवीन रामगुलाम को मॉरीशस में ऐतिहासिक चुनावी जीत पर बधाई दी थी। पीएम मोदी ने कहा था कि अपने मित्र डॉ. रामगुलाम से गर्मजोशी से बातचीत की और उन्हें ऐतिहासिक चुनावी जीत पर बधाई दी।मैंने उन्हें मॉरीशस का नेतृत्व करने में बड़ी सफलता की कामना की और भारत आने का निमंत्रण दिया।पश्चिमी हिंद महासागर पर मॉरीशस एक छोटा सा देश है। यहां की आबादी लगभग 12 लाख है। इनमें से लगभग 70 फीसदी लोग भारतीय मूल के हैं। हिंदू धर्म यहां सबसे प्रचलित धर्म है। उर्दू, तमिल, तेलगू, भोजपुरी और हिंदी समेत कई भारतीय भाषा यहां बोली जाती हैं। भारत मॉरीशस के साथ घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंध साझा करता है। मेडागास्कर तट से मॉरीशस की दूरी लगभग 800 किमी है।
मॉरीशस की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, जबकि फ्रेंच और क्रियोल भी व्यापक रूप से बोली जाती हैं. इसके अलावा भोजपुरी और हिंदी समेत कई भारतीय भाषाएं यहां बोली जाती हैं. जितने मजदूर मॉरीशस आए, उनमें से अधिकतर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले थे जो भोजपुरी में बात किया करते थे. बस इसी वजह से यहां भोजपुरी एक लोकप्रिय भाषा बन गई. आज भी मॉरीशस में लोग भोजपुरी बोलते समझते हैं. मॉरीशस टाइम्स वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 की जनगणना के अनुसार मॉरीशस की कुल आबादी 12 लाख से ज्यादा थी. इनमें से 5.3 फीसदी लोग भोजपुरी बोलते हैं, जबकि साल 2000 की जनगणना के अनुसार 12.1 फीसदी लोग भोजपुरी बोलते थे. इसके अलावा उर्दू, तमिल और तेलुगु भी यहां बोली जाती हैं. मॉरीशस को मिनी भारत कहने की बड़ी वजह यह है कि यहां भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. दरअसल आजादी से पहले बड़ी संख्या में यूपी और बिहार के लोगों को मजदूरी के लिए यहां लाया गया था. इन्हें गिरमिटिया भी कहते हैं. भाषा और बोली के अलावा यहां बड़ी संख्या में लोग भारतीय परिधान पहने नजर आ जाएंगे, जो परदेस में मिनी भारत होने का अहसास देता है. मॉरीशस के किसी गांव में आपको साड़ी पहनकर झूमर, सोहर, कजरी या रतवाई गाती हुई महिलाएं दिखें, तो आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है. ये महिलायें ही हैं, जिन्होंने सात समंदर पार भी भारतीय संस्कारों और परंपराओं को जिंदा रखा है. हर घर के बाहर तुलसी के चौरे पर जलने वाला दिया उन्हें अपने अतीत से जोड़े रखता है.एक वक्त ऐसा था जब मॉरीशस ब्रिटिश और फ्रेंच कॉलोनी हुआ करता था. 1834 से 1900 की शुरुआत तक करीब 5 लाख भारतीयों को यहां ब्रिटिश द्वारा मजदूरी करने के लिए लाया गया था. इनमें से दो-तिहाई मजदूर यहीं बस गए. इनमें से पहलेाबैच 36 लोगों का था जो दो नवंबर 1834 को मॉरीशस आए थे. वो जिस जहाज से आए थे उसका नाम एटलस था. इस दिन को आज भी मॉरीशस में अप्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है. पोर्ट लुइस में है वो अप्रवासी घाट जिसकी सीढ़ियां भारतीय मजदूर मॉरीशस की किस्मत बदलने के लिए उतरे थे. अब यूनेस्को ने उस स्थान को विश्र्व-धरोहर घोषित कर दिया है.अगर मॉरीशस के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करने के लिए अलांकारिक भाषा का इस्तेमाल किया जाए तो आपको अमेरिकी साहित्यकार मार्क ट्वेन के एक कथन का सहारा लेना होगा. मार्क ट्वेन ने एक बार कहा था कि ईश्र्वर ने पहले मॉरीशस बनाया और फिर उसमें से स्वर्ग की रचना कीबता दें कि हर साल 12 मार्च को मॉरीशस अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। इसे 12 मार्च, 1968 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। रामगुलाम ने कहा, ‘‘मुझे हमारे देश की स्वतंत्रता की 57वीं वर्षगांठ के समारोह के संदर्भ में सदन को यह सूचित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि मेरे निमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री महामहिम नरेन्द्र मोदी ने हमारे राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने पर सहमति व्यक्त की है।’’मॉरीशस के प्रधानमंत्री रामगुलाम ने शुक्रवार को ‘नेशनल असेंबली’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह हमारे देश के लिए वास्तव में एक विशेष सम्मान की बात है कि (प्रधानमंत्री मोदी के) इतने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद हमें ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व की मेजबानी करने का अवसर मिलेगा